भाग -13
क्या उस दिवंगत आत्मा से संपर्क हुआ था
साध्वी श्री कुलबाला जी कई दिनों से कैंसर से पीड़ित थीं और स्वास्थ्य में कुछ विशेष सुधार नहीं हो पा रहा था। मैंने अग्रगण्य साध्वी श्री रतन श्री जी से विशेष निवेदन किया कि यदि वे अध्यात्म साधना केंद्र में पधारें और ध्यान के विशेष प्रयोग किए जाएं तो कुछ लाभ हो सकता है। उन्होंने मेरी प्रार्थना को स्वीकार किया और अगस्त-सितंबर 2019 में सभी साध्वियों के साथ केंद्र में पधारे ।
केंद्र की अनामिका ने साध्वी कुलबालाजी को प्रयोग करवाने प्रारंभ किए । यह तो नहीं कहा जा सकता कि वे पहले से स्वस्थ हो गईं परंतु उनका स्वास्थ्य स्थिर हो गया था और अब उसमें कोई गिरावट नहीं दिखाई दे रही थी । इधर पर्युषण काल भी पूरा हो गया और साध्वी वृंद का यह चिंतन बना कि अब चातुर्मास स्थल को छोड़कर और समाचारी से हटकर अधिक समय केंद्र में रहना अपेक्षित नहीं है । यद्यपि मेरा तो आग्रह था कि यदि वे दीर्घकाल तक केंद्र में समय लगातीं तो स्वास्थ्य में अपेक्षित परिवर्तन भी आ सकता था, परंतु साध्वी वृंद के लिए उनकी चर्या अधिक महत्वपूर्ण थी और वे ग्रीन पार्क पधार गए ।
मुश्किल से लगभग 2 सप्ताह ही गुजरे होंगे कि साध्वी कुलबालाजी का स्वास्थ्य एकदम तेजी से गिरता चला गया और वे देवलोक पधार गईं । अनामिका की साध्वी श्री में काफी श्रद्धा हो गई थी, क्योंकि वह मनोयोग से करवाती थी और साध्वी श्री बहुत ही मनोयोग से प्रयोग करतीं थी ।
साध्वी श्री के देवलोक होने की सूचना जब मिली तब वह अपने घर गई हुई थी । उसकी मम्मी का मेरे पास फोन आया, यह बताते हुए कि अनामिका साध्वी श्री के देवलोक होने की सूचना से बहुत व्यथित थी और उसका रोना बंद नहीं हो रहा था और उसने मुझसे उसे सांत्वना देने के लिए कहा ।
मैंने अनामिका को समझाने का प्रयास किया परंतु वह शांत ही नहीं हो रही थी । अचानक मेरे मन में न जाने क्या आया कि मैंने उससे कहा कि तुम दिवंगत साध्वी जी से ध्यान में जाकर संपर्क करने का प्रयास करो तो शायद तुम्हारे मन को शांति मिले । मैंने यह पढ़ रखा था कि दिवंगत आत्माओं से अथवा अपने प्रिय जनों से ध्यान की गहराई में जाकर यदि संपर्क करने का प्रयास किया जाए तो अन्य लोक में भी उनसे संपर्क किया जा सकता है ।
मैंने कुछ देर बाद जब अनामिका से संपर्क किया तो उसने बताया कि वह साध्वी श्री से संपर्क नहीं साध पा रही थी । उसे शांत करने के लिए मैंने उसे पुन: प्रेरणा दी और ध्यान की गहराई में जाकर फिर प्रयास करने का सुझाव दिया ।
कुछ देर बाद अनामिका का फोन आया और उसने कहा की उसका साध्वी श्री जी से संपर्क हो गया था । यद्यपि वे दिखाई तो नहीं दी परंतु उनसे वार्तालाप हो गया था । साध्वी श्री ने अनामिका को शोक न करने और शांत रहने को कहा । उन्होंने कहा कि वे प्रसन्न अवस्था में हैं और यदि अनामिका शोक मनाती है तो उन्हें कष्ट होता है । उन्होंने जीवन-मरण के सत्य से और आयुष्य पूर्ण होने पर यात्रा संपन्न करने के तथ्य से भी अनामिका को परिचित करवाया और न कष्ट पाने और न कष्ट देने का संदेश दिया ।
इसके बाद वह अनामिका शांत हो गई । उसने साध्वी श्री से यह भी निवेदन किया था कि क्या जब वह चाहेगी तो साध्वी श्री से उसका संपर्क हो पाएगा जिसका उन्होंने कोई आश्वासन नहीं दिया ।
मेरा तो ऐसा कोई व्यक्तिगत अनुभव नहीं है परंतु जिस किसी का भी यह अनुभव है मैं उसे ठुकराना भी नहीं चाहता । शेष जैसी जिसकी मान्यता अथवा धारणा ।