प्राक्कथन
योग और ध्यान का विषय जहां एक और मानसिक शांति, स्वास्थ्य और व्यक्तित्व विकास के साथ जुड़ा है, वहीं दूसरी ओर यह रहस्यों से भी भरा है । मैं आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा स्थापित और निर्देशित अध्यात्म साधना केंद्र के साथ गत लगभग तीन दशक से जुड़ा हूं ।
आचार्य महाप्रज्ञ न केवल जैन साधना पद्धति के आधुनिक स्वरूप में प्रेक्षा ध्यान के प्रणेता है, उन्होंने अपने प्रवचनों और साहित्य में इसके विज्ञान और रहस्य को स्पष्ट करने का भी प्रयास किया है। परंतु, फिर भी जब तक कोई स्वयं अनुभव से न गुजरे, उन संकेतों को पकड़ पाना आसान नहीं होता ।
अध्यात्म साधना केंद्र प्रेक्षा ध्यान साधना की प्रयोगशाला है और अक्सर अनेक साधकों को ऐसे विचित्र अनुभवों से साक्षात्कार होने का अवसर आता है जिनका कोई स्पष्ट वैज्ञानिक आधार समझ नहीं आता । परंतु जो घटित हो रहा होता है उसे अस्वीकार भी नहीं किया जा सकता ।
एक ऐसा ही अनुभव जो अप्रत्याशित और नया तो था ही, कहीं-कहीं बहुत सी स्थापित मान्यताओं के प्रतिकूल भी । मैंने उसे जिस रूप में देखा और समझा, अपने शब्दों में व्यक्त करने का प्रयास किया है । यह निर्णय मैं सुधी पाठकों पर छोड़ता हूं कि वे इसे किस रूप में स्वीकार करते हैं ।
– के.सी. जैन
अनुक्रमणिका
- प्रारंभ एक रहस्यमयी यात्रा का
- साक्षात दिव्य आत्मा का
- बढ़ते चरण दिव्यात्मा से संवाद के
- प्रारंभ चुनौतियों का
- बढ़ती चिंताएं
- झलक अतींद्रिय ज्ञान की
- सहयोग स्वजनों का
- सहयोग मिलना श्री के.एल. जैन का
- प्रश्नोतरी अज्ञात की
- कुछ शंकायें, कुछ समाधान
- दर्शन गुरुदेव के
- जब चाहेंगे नहीं तो पाएंगे कैसे
- क्या उस दिवंगत आत्मा से संपर्क हुआ था
- क्या मौत सामने खड़ी थी ?
- अंतिम प्रहार
- लड़ाई आर-पार की
- यात्रा अनंत की
लेखक परिचय
श्री के.सी. जैन का जन्म 26 जनवरी, 1959 को श्री गंगानगर, राजस्थान में हुआ था, जहां से उन्होंने कॉमर्स में स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की । दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि स्नातक होने के साथ ही सन 1980 में उनका भारतीय राजस्व सेवा मैं चयन हुआ जहां से वे सन् 2017 में प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए ।
योग और ध्यान उनके प्रारंभ से ही रुचि के विषय रहे हैं । अध्यात्म साधना केंद्र, दिल्ली जैन परंपरा की प्रेक्षा ध्यान पद्धति का एक प्रमुख केंद्र है, जिसके साथ वे गत 30 वर्षों से जुड़े रहे हैं और उसके निदेशक भी हैं ।
इसके अतिरिक्त वे अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास, तेरापंथ कल्याण परिषद, JITO(जीतो), शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य संस्थाओं आदि से भी जुड़े रहे हैं ।