Naturopathy Kit
₹600
Naturopathy Kit
Package item and quantity
Item Name | Quantity |
लपेट (Wrap Colton n woollen) | 1 |
आई कप (Eye cup) | 2 |
जलनेति लोटा (Jalneti pot) | 1 |
त्रिफला चूर्ण (Trifla Powder) | 100 gms |
जलनेति क्या है ?
जलनेति नेतिपात्र (पॉट) के साथ नमकीन गुनगुने पानी से की जाने वाली हठयोग की क्रिया है। इसमें पानी को पोट से नाक के एक नासिका छिद्र से पानी डालकर दूसरे नासिका छिद्र से बाहर निकाला जाता है फिर इसी क्रिया को दूसरी नॉस्ट्रिल से किया जाता है। इस क्रिया से नासिका मार्ग का शुद्धिकरण होता है इसके लगातार अभ्यास से यह नासिका क्षेत्र में कीटाणुओं को पनपने नहीं देती ।
यह आपके शरीर,मन और आत्मा में एकत्व लाने में मदद करती है। इसीलिए, इसका अभ्यास केवल नासिका में अवरोध या ठंड लग जाने पर ही नहीं, बल्कि प्रतिदिन करना चाहिए।
जलनेति के विवरण से विचलित ना हों। यह इतना कठिन नहीं है,जितना कि लग रहा है। सामान्यतः जब लोग जलनेति के बारे में सुनते हैं, तो उनकी पहली प्रतिक्रिया होती है – मैं अपनी नाक में पानी कैसे डाल सकता हूं ? लेकिन, जब एक बार वे इस प्रक्रिया को कर…
कुंजल क्या है। What is Kunjal ?
कुंजल पानी से की जाने वाली हठयोग की क्रिया है। इसमें खाली पेट पानी पीकर, उसे बाहर निकालना होता है। इस क्रिया से कंठ से लेकर आमाशय तक का शुद्धिकरण होता है।
कुंजल संस्कृत शब्द कुंजर से निकला है जिसका मतलब होता है हाथी। इस योग क्रिया को गजकरणी या वमनधौति भी कहते हैं। जिस तरह से हाथी अपनी सूंड़ से पानी खींचता है और उसे सूंड़ से ही बाहर निकालता है कुंजल क्रिया से व्यक्ति अपने शरीर को उसी प्रकार साफ कर सकता है, जैसे बर्तन को गर्म जल से साफ किया जाता है।
घेरंडसंहिता में इसे वमनधौति भी कहा जाता है। वमन का अर्थ है उल्टी करना। इसमें पित्त तथा श्लेष्म की अधिकता दूर करने के लिए उलटी की जाती है।
कुछ योगाचार्य इस क्रिया को व्याघ्र क्रिया से जोड़ते हैं। व्या़घ्र का अर्थ बाघ होता है। जिस प्रकार व्याघ्र भोजन के कुछ घंटों उपरांत अपने भोजन को…
नेत्र प्रक्षालन
वैसे तो शरीर का हर अंग अपने आप में जरूरी होता है, लेकिन आंखों को बहुत नाजुक माना जाता है, इसलिए इसकी देखभाल भी बहुत जरूरी है । कम्प्यूटर और मोबाइल में लगातार लंबे समय तक काम करने पर आंखों में जलन, थकान तथा भारीपन रहता है। कई बार चश्मा तक लग जाता है लेकिन अगर हम कुछ छोटी बातों का ध्यान रखें तो आंखें सेहतमंद रहेगीं ।
आंखों की सफाई – नियमित तौर पर आंखों की सफाई करने से आप कई समस्याओं को होने से रोक सकते हैं। इसके लिए दिन में दो से तीन बार आंखों को ठंडे पानी से धो लें, ताकि आंखों की गर्मी और हानिकारक तत्व बाहर निकल जाए।
नेत्र प्रक्षालन विधि
त्रिफला के पानी से रोजाना आंखों को धोने से नेत्र रोग दूर होते हैं।
- त्रिफला चूर्ण को लगभग एक से डेढ़ चमच गिलास पानी में डालकर रात्री में भिगो दें।
- सुबह उठकर हाथों को अच्छी तरह धोकर पानी मे भिगोए चूर्ण को हाथ से अच्छी तरह मसलकर साफ कपड़े से छान लें ।
- दोनों आईकप को साफ करके त्रिफला पानी से भर लें ।
- अब गर्दन थोड़ा आगे झुकाकर दोनों आई कप्स को दोनों आंखों में फिक्स करें और गर्दन सीधा कर लें ।
- मुंह में श्वास भरें गाल फुलाए।
- 20 बार आंखों को खोलें, बंद करें ।
- गर्दन थोड़ा आगे झुकाए, आई कप हटा दें।
- आई कप्स में पानी बदल ले।
- इस पूरी विधि को एक बार फिर से दोहराएं।
- कोमल रुमाल से आंखें साफ कर लीजिए।
- अब आंखों की व्यायाम करें। (ऊपर – नीचे, दाएं – बाएं, क्लॉक वाइज और एंटी क्लॉक वाइज।)
सेहतमंद बातें :-
- हथेलियों की गर्माहट भी आंखों के लिए लाभदायक है। अगर आपको थकान लग रही है तो दोनों हथेलियों को आपस में रगडऩा चाहिए। इससे हथेलियां गर्म होगी। इससे आंखों की मसाज कीजिए। आराम मिलेगा।
- अगर आपकी आंखों में जलन हो रही है, तो आप गुलाब जल से आंखे साफ कर सकते है। रूई के 2 बड़े टुकड़े लीजिए तथा इन्हें गुलाब जब में डुबोकर आंखों पर रखें। इससे आंखों की जलन दूर होगी। अगर आंखों की तकलीफ की वजह से सिर दर्द भी रहता है तो भी ये उपाय लाभदायक रहेगा। इससे सिर दर्द भी दूर होगा।
- सुबह उठकर मुहँ में पानी भरकर आँखें खोलकर साफ पानी के छीटें आँखों में मारने चाहिए इससे आँखों की रौशनी बढ़ती है ।
- प्रातःकाल सूर्योदय से पहले नियमित रूप से हरी घास पर 15-20 मिनट तक नंगे पैर टहलना चाहए। घास पर ओस की नमी रहती है नंगे पैर टहलने से आँख को तनाव से राहत मिलती है और रौशनी भी बढ़ती है ।
- आंखों की स्वस्थ्यता के लिए अच्छी नींद जरूरी है, नहीं तो आंखों के नीचे काला घेरा पड़ जाता है और रोशनी भी कम होती है।
- जब आँख भारी होने लगे नींद का समय हो जाए तो सो जाना चाहिए।
- शुद्ध घी की दो-दो बूंदें नाक में डालने से भी लाभ होता है।
- पांव के तलवों की रोजाना मालिश करने से भी आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए नारियल तेल या तिल का तेल फायदेमंद होता है।
- अगर आपकी आंखों में परेशानी है तो दालचीनी वाली चाय पीना भी आपके लिए लाभदायक रहेगा। दालचीनी वाली चाय नसों में आ चुके तनाव को कम करने में सहायक है। इससे आंखों को भी आराम मिलता है।
- पालक, पत्ता गोभी, हरी सब्जियाँ और पीले फल खाएं। विटामिन ए, सी और ई से भरपूर कई पीले फल हमारी आंखों के लिए फायदेमंद हैं। इसके अतिरिक्त पपीता, संतरा, नींबू आदि के सेवन से आंखों की रोशनी व हमारे देखने की क्षमता बढ़ती हैं।
- आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए प्रतिदिन 1-2 गाजर खूब चबा-चबाकर खाएँ ।
सावधानियां :-
- सूर्योदय के बाद सोये रहने, दिन में सोने और रात में देर तक जागने से आँख पर बुरा प्रभाव पड़ता है और धीरे-धीरे आँखे रुखी और बेजान होने लगती है
- अतिरिक्त सूर्य की और भी टकटकी लगाकर नहीं देखना चाहिए।
- अधिक समय तक व अंधेरे में टीवी देखना आंखों पर सीधा प्रभाव डालता है। इससे नेत्र ज्योति घटती है क्योंकि टीवी से निकलने वाली घातक किरणे हमारी आँखों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचती है।
- कभी भी बहुत पास या बहुत दूर और लेटकर भी टीवी नहीं देखना चाहिए ।
- समय-समय पर ऐसे काम से ब्रेक लेते रहें जो आपको दिनभर कंप्यूटर या लैपटॉप पर करना होता है।
- लगातार, बिस्तर पर लेट कर और यात्रा के दौरान पढ़ना नहीं चाहिए। पढ़ाई के समय आंखों को पर्याप्त आराम दें।
- आंखों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए देर रात भोजन करने से बचें और गरिष्ठ भोजन से भी परहेज करें।
पेट की लपेट
उपचार का नाम – पेट की लपेट
शरीर के अंग जहां इसका प्रयोग किया जाता है – पेट
अवधि – 30 से 45 मिनट
विधि: – 12 ” चौड़ी और 3 मीटर लंबी एक ठंडी गीली सूती पट्टी, रोगी की कमर के चारों और पेट और पेडू को ढकते हुए लपेट देते हैं । इस सूती पट्टी के ऊपर इसी लंबाई, चौड़ाई की एक उनी पट्टी लपेट देनी चाहिए ।
उपयोग: – कब्ज, अपच, एसाइटिस, यकृत रोगों, उधर वायु, अम्लता तथा मोटापा में यह उपयोगी है । यह रक्त परिसंचरण में सुधार करने के साथ ही शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है ।
सावधानियां :-
- पहले सूती पट्टी को सामान्य पानी में डुबोएं और उसे निचोड़ कर पेट के चारों ओर बाँधें, फिर उनी लपेट को नम सूती कपड़े के ऊपर बाँध दें ।
- सुनिश्चित करें कि यह न तो बहुत तंग और न ही ढीला हो । इसे 40 मिनट के लिए रहने दें ।
- लपेट को हल्के नाश्ते के बाद लगभग 1 घंटे के बाद बांधे और सम्पूर्ण भोजन के 3-4 घंटे के बाद लपेट को बांधे ।
- साथ ही ध्यान रखें लपेट बांधने के दौरान ठोस भोजन ना लें, तरल पदार्थ लिया जा सकता है ।
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