भाग -10
कुछ शंकायें, कुछ समाधान
अनामिका की साधना, उपद्रव और उसके समाधान, बस यही निरंतर चल रहा था । अध्यात्म साधना केंद्र में साधकों का और चारित्रत्माओं का आवागमन बना रहता है और इसी क्रम में वहां समणी मल्लिप्रज्ञा जी का आना हुआ । समणी जी ध्यान में पर्याप्त रूचि रखती हैं और केंद्र के साधकों को प्रशिक्षण भी प्रदान करती रही थीं । उनके आने से हमें अपनी समस्या के समाधान की कुछ आशा जगी ।
सांयकाल ध्यान के समय अनामिका को फिर वही उपद्रव हुआ और समणी जी ने मंगल पाठ, नवकार आदि के उच्चारण से उसको शांत करने का प्रयास किया । थोड़ी देर बाद ऐसा लगने लगा जैसे अनामिका दिव्य आत्मा का साक्षात्कार कर रही थी । मैंने समणी जी को अनामिका द्वारा दिव्यात्मा से पूर्व में प्रश्नोतरी की चर्चा भी कर दी थी । अब मैंने और समणी जी ने कुछ प्रश्न कर अपनी शंकाओं का समाधान पाना उचित समझा ।
कुछ प्रश्न और उनका समाधान स्मृति में है ।
प्रश्न 1: भगवान महावीर विवाहित थे अथवा अविवाहित ?उत्तर: अविवाहित ( कुछ जैन परंपराओं में यह मान्यता है की भगवान विवाहित थे और उनके एक पुत्री भी थी )।
प्रश्न 2: भगवान मल्लिनाथ (16वें तीर्थंकर)स्त्री थे अथवा पुरुष । (कुछ जैन परम्परायें उनको स्त्री मानती हैं ।)उत्तर: पुरुष
प्रश्न 3: फिर कहीं-कहीं उनके स्त्री रूप की अवधारणा क्यों है ?उत्तर: गूंढ़ था और समझ नहीं आ सका ।
प्रश्न 4: ध्यान की सर्वोत्तम विधि कौन सी है ?उत्तर: प्रेक्षा ध्यान
प्रश्न 5: उसका विकास कैसे होगा ?उत्तर: आचार्य महाश्रमण जी कर रहे हैं ।
प्रश्न 6: शुक्ल ध्यान (जैन परम्परा में ध्यान की उत्कृष्ट अवस्था जो वर्तमान काल में संभव नहीं है) की अवस्था कैसे प्राप्त की जाये ?उत्तर: इस कालखंड में संभव नहीं है
प्रश्न 7: क्या चौदह पूर्व का ज्ञान ( जैन परम्परानुसार ज्ञान की अति उत्कृष्ट अवस्था जो वर्तमान में संभव नहीं है) प्राप्त किया जा सकता है ?उत्तर : इस कालखंड में संभव नहीं है ।
प्रश्न 8: आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ वर्तमान में किस अवस्था में हैं ?उत्तर: नहीं मिला ।
यह प्रश्नोत्तरी संभवतः दो या तीन बार में हुई थी ।
यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि अनामिका चूंकि जैन परंपरा से अपरिचित है, अतः इसे परंपरा से संबंधित इन शब्दों का अथवा प्रश्नों का कोई पूर्व ज्ञान नहीं था और न ही ध्यान संपन्न होने के बाद उसे इन प्रश्नों की कोई स्मृति थी । वह तो केवल एक माध्यम का कार्य कर रही थी, एक टेलीफोन की तरह ।
अनामिका की यात्रा ने अभी और भी बहुत कुछ अनुभव करवाना बाकी था ।